हिंदी कविता




सुरूर आपका 

छाया है सुरुर आपकी नजरोंका ऐसा के नमाजीसे काफीर बन गये,
मस्तीमे प्यारकी आपको ख़ुदा जानकर इबादत करने लगें.

ना रहा कुछ होश ना कुछ ठिकाना दिवाने आपके इतने हो गये,
सजाके मुरत आपकी दिलमें अपने नग्मोंकी पुजा चढ़ाने लगें.

दिन ढलते गये शामें गुज़रती गयी पर सुकुन अपना गवाँ बैठे,
ये कैसा जादु चलाया आपने के दर खुदका भुलाते गये.

नशा चढ़ा मोहोब्बतका इतना के नज़ारे आँखोंके मयखाने लगने लगे,
सपने सजाये आपके इतने कि दामन हकीकतका छोड़ बैठे.

करवटे लेने लगें अरमान ढलते लम्हे ठहरने लगे आपके साथमें,
सुर इतने सुरीले हुये आपके प्यारसे कि हम बाँसुरीसे बजने लगें.

महके आपके खुशबुसे इतने के गुलदस्ता फुलोंका हो गये,
रंग चढ़े आपके इतने कि दामन सभी मेरे फिकेसे सिंदुरी हो गयें.

                                                                         प्रसाद कर्पे 

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